Top Shodashi Secrets

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Shodashi’s mantra encourages self-self-control and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate bigger Management more than their feelings and actions, bringing about a more aware and purposeful approach to everyday living. This reward supports own expansion and self-willpower.

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

Quite possibly the most revered amongst these will be the 'Shodashi Mantra', which happens to be reported to grant the two worldly pleasures and spiritual liberation.

When Lord Shiva listened to concerning the demise of his spouse, he couldn’t Regulate his anger, and he beheaded Sati’s father. Even now, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s daily life and bestowed him by using a goat’s head.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति get more info प्राप्त करता है।

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

The story is often a cautionary tale of the strength of drive and also the requirement to create discrimination as a result of meditation and following the dharma, as we development in our spiritual route.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

The philosophical dimensions of Tripura Sundari prolong past her Actual physical attributes. She signifies the transformative electric power of attractiveness, which may guide the devotee through the darkness of ignorance to the light of information and enlightenment.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

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